एक खून की सज़ा फांसी , सौ खून की सज़ा भी फांसी

 

खून एक करो या सौ सज़ा फांसी ही हैं, लेकीन हम अगर बात करें की एक रेप की सज़ा दस साल हैं तो सौ रेप की सज़ा कितनी ? दिमाग चकरा गया ना !

हिंदुस्तान में वो पहली एक ऐसी ख़बर थी जिसने पुरे हिंदुस्तान को झंझोकर रख दिया था .

एक सेक्स स्कैंडल, इतनी बढीं तादाद मैं जो ना उससे पहले कभी हुआ था और ईशवर ना करें कभी भविष्य मैं हो . इस बर्बर रेप कांड में अजमेर के एक प्रसिद्ध गर्ल्स स्कूल जिसका नाम सोफिया सीनियर सेकंडरी गर्ल्स स्कूल था की सैकड़ों युवा लड़कियों को निशाना बनाया गया था।

ये बात हैं अजमेर कि सन् 1992 कि, अचानक अजमेर की स्कूल और कॉलेज की लड़कियों को न्यूड तस्वीरें कुछ लोगों के हाथों वायरल होना शुरू होता हैं, याद़ रखियेगा ये ज़माना मोबाइल फोऩ का नहीं था और ना ही सोशल मीडीया का उस समय सिर्फ रील वाले कैमरा हुआ करते थे |

धीरे- धीरे ये तस्वीरें पुरे अजमेर शहर मैं वायरल होने लगी, पुलिस और प्रशासन तक भी ये ख़बरे गयी लेकिन किसी ने कोई कार्यवाही नहीं की |

उस समय अजमेर से एक डेली न्यूज़ पेपर निकला करता था “नवज्योति” जिसने सबसे पहले ये ख़बर प्रकाशित की जिसमें कुछ स्कूली व कॉलेज की छात्राओं को स्थानिय गिरोह द्वारा न्यूड तस्वीरों के दम पर ब्लैकमेल किए जाने कि बात कहीं गई थी |

ये ख़बर छपते ही पुरे अजमेर मैं हंगामा हो गया, हड़कंप मच गया. इसके बाद पुलिय और प्रशासन को मजबूरन कार्यवाही करनी पड़ी, उस वक़्त 1992 मैं अजमेर युथ कांग्रेस का अध्यक्ष था  फारूक चिश्ती और उसी युथ कांग्रेस का उपाध्यक्ष नफिस चिश्ती और संयुक्त सचिव अनवर चिश्ती को इस पुरे सेक्स स्कैंडल का मास्टरमाइंड पाया गया |

सबसे पहले सोफिया स्कूल कि एक लड़की को बहला-फुसलाकर अजमेर के एक बाहरी क्षेत्र स्थित फार्म हाइस मैं उसके साथ शारीरीक संबंध बनाया और उसी दौरान उसके अशलील तस्वीरें और विडीयो बना लिये गये फिर इस लड़की को ब्लैकमेल करना शुरु किया कि वो अपनी दोस्त को लेकर फार्महाउस पर आये और अगर ऐसा नहीं किया गया तो वो उसकी तस्वीरें वायरल कर देंगे.

इसी तरह वो लड़की अपनी दोस्त को फार्महाउस पर लेकर पहुँचती हैं वहाँ उसके साथ भी रेप होता हैं उसकी भी अशलील तस्वीरें और विडीयो बना लिया गया. फिर उसे भी ब्लैकमेल किया गया अपनी दोस्त को लाने के लिए. ऐसे करके लड़कियों के साथ यौन शोषण का यह क्रम बहुत दिनों तक चलता रहा और आगे भी चलता रहता लेकिन उससे पहले ही इस कांड का पर्दाफाश हो गया और पुरे देश को इसके बारे में पता चल गया .

 घर वालों की नज़रों के सामने से ये लकड़ियां फार्म हाउसों पर जातीं. कहते हैं कि बाकायदा गाड़ियां लेने आती थीं. और घरों पर छोड़ कर भी जाती. ये भी कहा जाता है कि स्कूल की इन लड़कियों के साथ रेप करने में नेता, सरकारी अधिकारी भी शामिल थे.

कुछ वज़ह थी जिसकी वज़ह से केस ऊठ नहीं रहा था

1-इन लोगों की पहुंच दरगाह के खादिमों (केयरटेकर्स) तक भी थी. 

2-खादिमों तक पहुंच होने के कारण रेप करने वालों के पास राजनैतिक और धार्मिक, दोनों ही पॉवर थी. 

3-रेप की शिकार लड़कियां ज्यादतर हिंदू परिवारों से थी, अधिकारियों को लगा कि केस का खुलासा होने से इसे ‘हिन्दू-मुस्लिम’ नाम देकर दंगे हो सकते हैं.

आगे चलकर ब्लैकमैलिंग में और भी लोग जुड़ते गये. आखिरी में कुल 18 ब्लैकमेलर्स हो गये. इन लोगों में लैब के मालिक के साथ-साथ नेगटिव से फोटोज डेवेलप करने वाला टेकनिशियन भी था.


इस सबके दौरान कुछ लड़किया टुट गई उन्हें इस बार बार के ब्लैकमेलिंग और धमकियों को झेलने से अच्छा मौत को गले लगाना समझा , और उसी वक्त सोफया स्कूल की 6 लड़कियों ने सुसाइड कर लिया. ये बात आगे चलकर केस को एक्सपोज करने में मददगार रही.

पुलिस और महिला संगठनों की कोशिशों के बावजूद लड़कियों के परिवार आगे नहीं आ रहे थे. इस गैंग में शामिल लोगों के नेताओं से कनेक्शन्स की वजह से लोगों ने मुंह नहीं खोला. बाद में किसी  𝔑𝔊𝔒 ने पड़ताल की. तस्वीरे और वीडियोज के जरिए तीस लड़कियों की शक्लें पहचानी गईं. इनसे जाकर बात की गई. केस फाइल करने को कहा गया.  लेकिन सोसाइटी में बदनामी के नाम से बहुत परिवारों ने मना कर दिया. बारह लड़कियां ही केस फाइल करने को तैयार हुई. बाद में धमकियां  मिलने  से दस लड़कियां भी पीछे हट गई. बाकी बची दो लड़कियों ने ही केस आगे बढ़ाया. इन लड़कियों ने सोलह आदमियों को पहचाना. ग्यारह लोगों को पुलिस ने अरेस्ट किया.

टाइम-लाइन-

1. 1992 में पूरे स्कैंडल का भांडा फूटा. लड़कियों ने आरोपियों  की पहचान की और आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया.

2. 1994 में आरोपियों में से एक आरोपी ने  सुसाइड कर ली.

3. केस का पहला फैसला छः साल बाद आया जिसमे डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने आठ लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई.

4. इसी बीच आरोपी फारूक चिस्ती ने दिमागी संतुलन खोने का बहाना बनाया जिससे केस को लटकाया जा सके

5. कुछ दिन बाद कोर्ट ने चार आरोपियों की सजा कम करके दस साल के लिए जेल भेज दिया

6. सजा कम होने बाद राजस्थान गवर्मेंट नें सुप्रीम कोर्ट में इस दस साल की सजा के खिलाफ अपील लगा दी. जेल में बंद चार आरोपियों ने दस साल की जजमेंट को सुप्रीम कोर्ट चैलेंज किया .

7. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान गवर्नमेंट और आरोपियों दोनों की फाइल्स को ख़ारिज कर दिया.

8. इस केस का एक आरोपी 25 हजार का इनामी सलीम नफीस चिश्ती उन्नीस साल बाद  2012 में पकड़ा गया. बेल पर छुट कर आने के बाद से उसके बारे में कोई खबर नहीं है.

-हेमांग बरुआ

Comments