21 फ़रवरी,
1985 को पुलिसिया मुठभेड़ में
भरतपुर के निर्दलिय विधायक राजा मानसिंह की मौत हो गई थी. 35 साल बाद इस मामले में फैसला आया है. फैसले के तहत डीएसपी कान सिंह भाटी सहित 11 लोगों को दोषी
पाया गया है. हत्याकांड में 18 लोग आरोपी बनाए
गए थे. ट्रायल के दौरान
चार लोगों की मौत हो गई और तीन पुलिसकर्मियों को बरी किया गया है. मथुरा जिला सेशन कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. सभी 11 दोषियों की सजा
का ऐलान 22 जुलाई को किया गया था.
ये दोषी सिद्ध हुए-
- कान सिंह भाटी, सीओ -विरेन्द्र सिंह,एसएचओ -रवि शेखर, एएसआई - सुखमाराम, कांस्टेबल
- जीवन राम, कांस्टेबल
- भंवर सिंह, कांस्टेबल
-हरि सिंह, कांस्टेबल
-शेर सिंह, कांस्टेबल
-छत्तर सिंह, कांस्टेबल
- पदमा राम, कांस्टेबल
-जगमोहन, कांस्टेबल
ये किए गए मुक्त-
-कान सिंह सिरवी, निरीक्षक
-गोविंदाराम, कांस्टेबल (जीडी लेखक)
-हरिकिशन, कांस्टेबल ( जीडी लेखक)
21 फरवरी 1985,
को हुआ क्या था ?
ये बात हैं 20 और 21 फरवरी 1985 की, राजस्थान
में उस समय चुनावी मौहाल था. तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर 20 फरवरी 1985 को
स्थानीय उम्मीदवार विजेंद्र सिंह के सपोर्ट में एक रैली करने वाले थे. इस सभा के
पूर्व में कांग्रेसियों ने राजा मान सिंह के रियासत के झंडे उखाड़ दिये और वहां पर
कांग्रेस के झंडे लगा आये. इससे राजा क्रोधित हो गये, इस कदर की अपनी जोंगा जीप
निकाली और अपने समर्थकों के साथ रैली वाले स्थान पहुंच गए. इसके बाद अपनी जीप से
मुख्यमंत्री के हेलिकॉप्टर को टक्कर मार कर क्षतिग्रस्त कर दिया. हालांकि उस समय तक मुख्यमंत्री वहां से जा चुके थे।
इसके बाद राजा मान सिंह ने मुख्यमंत्री के सभा स्थल पहुंचने से पहले ही जोंगा की
टक्कर से चुनावी मंच को ध्वस्त कर दिया. इसके बाद मुख्यमंत्री को अपनी सभा छोड़ कर
वापस लौटना पड़ा, वो भी सड़क मार्ग से.
अगले दिन, जब सिंह और उनके सहयोगी - ठाकुर सुमेर सिंह और ठाकुर हरि
सिंह - आत्मसमर्पण करने के लिए स्थानीय पुलिस स्टेशन के रास्ते पर थे, तब अनाज मंडी के पास डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी और उनके
सहयोगीयों ने राजा और उनके साथियों पर अंधाधुंध गोलि चला दी, जिससे तीनों की मौके पर ही मृत्यू हो गई. इसके बाद भयंकर विरोध-प्रदर्शन हुआ. सीएम से इस्तीफ़ा देने की मांग हुई. मामला बढ़ता देख
गोली चलाने का आदेश देने वाले पुलिस अफसर को सस्पेंड कर दिया और मामले की जांच के
आदेश दिए गए थे. फिर सीएम को भी हटाना
पड़ा उसके बाद हीरालाल देवपुरा को नया मुख्यमंत्री बनाया गया था.
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