किसी और देश के लिए रवाना हुआ एक विदेशी जहाज़, एक ख़तरनाक केमिकल लेके बेरुत क्यों आया?

बेरुत ब्लास्ट कि यह कहानी शुरु हुई थी सात बरस पहले। रुस के दक्षिणी पश्चिमी सिमा से सटा एक छोटा-सा देश है जॉर्जिया, यहाँ ब्लैक-सी के किनारे एक छोटा-सा देश है बटूमि। सितम्बर 2013 कि बात है। बटूमि शहर के बंदरगाह से 'RHOSUS' नाम का एक जहाज़ रवाना हुआ, इसे रवाना किया था 'IGOR GRECHUSHKIN' नाम के एक रुसी कारोबारी ने।

 इस जहाज़ पर था 2750 मीट्रिक टन अमोनियम नाइट्रेट केमिकल, यह खेप खरीदी थी मोज़ाम्बिक की 'FABRICA DE EXPLOSIVOS' नाम की एक कंपनी ने। ये मोज़ाम्बिक कि एक कंपनी है जो विस्फोटक बनाती है। बता दे कि अमोनियम नाइट्रेट एक रासायनिक यौगिक है और मुख्य रूप से एक फ़र्टिलाइज़र के तौर पर काम आता है, इसे माइंस में होने वाले विस्फोटो में भी काम लिया जाता है। GRECHUSHKIN को 1 मिलियन डॉलर का भुगतान किया गया था ताकि ये जहाज़ मोज़ाम्बिक पहुँच सके. जहाज़ निकला तो सही पर अपनी मंज़िल पर नहीं पहुँच सका। जहाज़ पर पैसो कि तंगी थी, जिसको लेकर क्रु का रुसी कारोबारी से झगड़ा हो रहा था। कुछ ही दुर जाने पर उनको SUEZ CANAL को पार करके आगे जाना था। इस SUEZ CANAL को पार करने के लिए एक टोल देना था, जिसे चुंगी कहते है । 

जहाज़ पर इतने पैसे नहीं थे कि वह यह चुंगी दे सके. क्रु ने GRECHUSHKIN को फोन करके पैसे मांगे। इस पर GRECHUSHKIN ने कहाँ मेरे पास पैसे नहीं है, जहाज़ को बेरुत ले जाओ और वहाँ से भारी मशीनरी का कार्गो उठाओ और उससे जो पैसा मिले उससे चुंगी के पैसे दो और बाक़ी जहाज़ का ख़र्चा निकालो। बेरुत पहुँचने के बाद मशीनों को जहाज़ पर डालने कि कोशिश कि गयी, लेकिन मशीनें जहाज़ पर फिट नहीं हो रही थी। जो सोच के आये थे वह तो हुआ नहीं ।क्रु के पास तो पैसा पहले से ही नहीं था और ऊपर से बेरुत बंदरगाह का किराया भी देना था। इन सबके बीच अधिकारियों ने जहाज़ का निरक्षण किया और पाया कि यह जहाज़ झरझर अवस्था में है और समुनदरी यात्रा के काबिल ही नहीं है । जहाज़ को जब्त कर लिया। कप्तान और जहाज़ के 8 लोगों को बंधक बना लिया गया।

 कुछ दिनों बाद 6 लोगों को रिहा कर दिया गया, लेकिन कप्तान और बाक़ी के 3 लोगों को रोक लिया गया और कहाँ गया जब तक बकाया नहीं दोगे तब तक यहीं रहोगे। कप्तान रुसी थे, उन्होने लेबनान स्थित रुसी दूतावास में संपर्क किया, उनको सारी बातें बतायी, इस पर दूतावास का जवाब़ आया कि तुम्हारे लिए क्या राष्ट्रपति पुतिन फोर्स रवाना करे। इसके बाद और 10 माह तक जहाज़ पर बंधक रहने के बाद लेबनान की एक अदालत ने दया दिखाते हुए क्रु को रिहा कर दिया। जहाज़ पर पडे 2750 मीट्रिक टन अमोनियम नाइट्रेट को जहाज़ से उतार कर हेंगर नंबर 12 में रख दिया गया। ये वह ही गोदाम था जहाँ अगस्त 2014 से 4 अगस्त तक यह रखा हुआ था।

बेरुत कस्टम्स डिपार्टमेंट के डायरेक्टर जनरल है बद्री दाहेर, उन्होने लेबनान के अधिकारियों और अदालतों को कहीं बार चेताया, लेकिन उसके बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की गयी, बस इतना कहाँ गया कि एक दिन इसकी निलामी होगी।

क्या है हिजबुल्लाह कनेक्शन?

हिजबुल्लाह की अमोनियम नाइट्रेट में पुरानी दिलचस्पी है, आतंकी संगठन इस केमिकल से बम बनाते है। हिजबुल्लाह पर जर्मनि, ब्रिटेन और बुल्गारिया जैसे कई देशों पर हुई आतंकवादी वारदातों में इस केमिकल के इस्तमाल किये जाने का आरोप है।

यह आरोप हैं कि हिजबुल्लाह की बेरुत पोर्ट पर रखे हैं इस केमिकस में दिलचस्पी थी जिसकी वज़ह से इसकी निलामी नहीं की जा रही थी। माना जाता हैं कि बेरुत पोर्ट पर हिजबुल्लाह का काफ़ी दबदबा है। ख़बरों के मुताबिक हिजबुल्लाह इस पोर्ट से हथियारों कि तस्करी करता आया है। इसी वज़ह से शायद बार-बार आगाह करने के बाद भी केमिकल हो नहीं हटाया गया, ताकि उसे भविष्य में इस्तमाल किया जा सके.

बेरुत धमाके में 140 के करिब मौते हुई है, 5000 से ज़्यादा घायल और 300000 लोगों के सर से छत छीन गयी है।

 

-हेमांग बरूआ

 

  

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