तबलीगी जमात - धर्म के प्रचारक या कोरोनावायरस के ?
मरकज़ का मतलब ‘केंद्र’ यानी ‘सेंटर’ होता हैं |
तबलीग का मतलब - धर्म का प्रचार |
जमात का मतलब - समुह या झुंड |
तबलीगी जमात कया हैं?
- तब्लीगी जमात एक
वैश्विक इस्लामी प्रचारक आंदोलन है जिसमें मुसलमानों के प्रचारकों के एक समूह के
साथ सुन्नी इस्लाम के बुनियादी सिद्धांतों जैसे कपड़े, अनुष्ठान और पूजा
करने के तरीके का पालन करने का आग्रह किया गया है। इस आंदोलन को शुरू में 1926 में एक इस्लामिक
विद्वान मौलाना मुहम्मद इलियास कांधलवी ने चलाया था |
-इलियास चिंतित थे कि ‘मेओ’ (जिसे मेवाती भी कहा जाता है, उत्तर-पश्चिमी भारत से एक मुस्लिम राजपूत समुदाय है, विशेष रूप से मेवात के आसपास और हरियाणा के मेवात जिले और राजस्थान में अलवर और भरतपुर जिलों के कुछ हिस्सों में) मुसलमान 'हिंदूकरण' कर रहे थे, जिसके बाद उन्होंने देवबंद और सहारनपुर के कई युवाओं को प्रशिक्षित किया और उन्हें मेवात भेजा जहां तबलीगी जमात ने मदरसों और मस्जिदों का एक नेटवर्क स्थापित
-तब्लीगी जमात के प्रचारक मस्जिदों से काम करते हैं, मुसलमानों के साथ बातचीत करते हैं और उन्हें मस्जिद में 'नमाज' और अन्य सेमिनारों के लिए बुलाते हैं ।
-इलियास चिंतित थे कि ‘मेओ’ (जिसे मेवाती भी कहा जाता है, उत्तर-पश्चिमी भारत से एक मुस्लिम राजपूत समुदाय है, विशेष रूप से मेवात के आसपास और हरियाणा के मेवात जिले और राजस्थान में अलवर और भरतपुर जिलों के कुछ हिस्सों में) मुसलमान 'हिंदूकरण' कर रहे थे, जिसके बाद उन्होंने देवबंद और सहारनपुर के कई युवाओं को प्रशिक्षित किया और उन्हें मेवात भेजा जहां तबलीगी जमात ने मदरसों और मस्जिदों का एक नेटवर्क स्थापित
-तब्लीगी जमात के प्रचारक मस्जिदों से काम करते हैं, मुसलमानों के साथ बातचीत करते हैं और उन्हें मस्जिद में 'नमाज' और अन्य सेमिनारों के लिए बुलाते हैं ।
-आंदोलन का उद्देश्य जमीनी स्तर पर काम करके इस्लाम के आध्यात्मिक सुधार के लिए है ।
-गैर मुसलमानों को इसमें शामिल करना इनका उद्देशय नहीं हैं|
-गैर मुसलमानों को इसमें शामिल करना इनका उद्देशय नहीं हैं|
- भारत में सभी
बड़े शहरों में इसका मरकज़ है ।
- ये मरकज़ों में
साल भर लोग आते जाते रहते हैं ।
-तबलीगी जमात 6 सिद्धांतों पर आधारित है-
-कालिमा (आस्था का पेशा)
-सलात (पांच बार नमाज या नमाज )
-इल्म-ओ-ज़िक्र (ज्ञान और ईश्वर का स्मरण)
-इकराम–ई मुस्लिम (हर मुसलमान का सम्मान)
-इकराम–ई मुस्लिम (हर मुसलमान का सम्मान)
-इखलास-ई नियात (इरादे की ईमानदारी)
-दावत-ओ-तबलीग (धर्मांतरण)
-दावत-ओ-तबलीग (धर्मांतरण)
तबलीगी जमात कहां-कहां है ?
- इसके लॉन्च के दो
दशक बाद, जमात मेवात
क्षेत्र से आगे फैल गया था |
- करीब 140-150
देशों में तबलीगी जमात कि पेठ हैं |
- मुख्य रूप से दक्षिण एशिया में 150 से 250 मिलियन सदस्य होने का अनुमान
है, जमात सदस्य केवल मुसलमानों के
बीच काम करते हैं जो उन्हें पैगंबर मोहम्मद द्वारा अभ्यास किए गए जीवन के तरीके
सिखाते हैं।
- तबलीगी जमात का पहला सम्मेलन 1941 में हुआ था, जिसमें
25,000 लोग शामिल हुए थे.
- देश के बंटवारे के बाद 1947 में इसकी मेन ब्रांच
पाकिस्तान के लाहौर में शुरु हुई थी|
- इस वक्त भारत के
बाद बांग्लादेश में जमात का सबसे बड़ा संगठन है|
- यूएस और ब्रिटेन
में इनकी बड़ी उपस्थिति है,
जहां भारतीयों
लोगों की संख्या सबसे अधिक है|
- जमात की
इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर में एक
बड़ी उपस्थिति है|
तबलीगी जमात के बारे में सबसे पहले कैसे पता चला ?
तमिलनाडु में एक व्यक्ति की मौत होती हैं , तब ये कहाँ गया की कहीं कोरोना की वजह से तो इसकी मौत नहीं हुई , और ये व्यक्ति अभी तब्लीगी जमात से वापस आया ही था।
दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर में भी पहली मौत एक ऐसे व्यक्ति की
हुई जो जमात से वहां पुहंचा था |
इसके बाद तेलंगाना में 7 लोगों की मौत होती हैं , जब धीरे-धीरे सनसनी फैली
तब पता चला की ये सारे लोगों का कनेक्शन जमात से है.
18 मार्च को तेलंगाना में 9 इंडोनेशियाई नागरिक जांच में पॉजिटीव मिलते है , इसके बाद तेलंगाना सरकार के
NCDC
को मरकज़ का लिंक बताया गया
|
20 मार्च को NCDC के निर्देश पर मरकज़ में अधिकारी भेजे गए, लेकिन उन्हें अन्दर नहीं
घुसने दिया गया |
इसके बाद 21 और 22 मार्च को तेलंगाना में 4 कोरोना पॉजिटीव मिले , इनका भी कनेक्शन मरकज़ से
मिला |
दूसरे दिन दिल्ली सरकार की टीम निजामुद्दीन पहुंची, लेकिन भवन में कोई ना कहकर
दरवाजा नहीं खोला गया |
24 मार्च को फिर तबलीगी जमात के 7 लोग कोरोना से संक्रमित मिले, इसके बाद जब दिल्ली पुलिस
ने नोटिस भेजा और पुछा की कया इतने लोग यहां मौजुद है तब उन्होनें बताया की इतने
लोग यहां मौजुद है उन्हें निकालिये और कीसी तरह से बचाइए|
लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और वहां पर मौजुद लोगों मे बुखार और खांसी
जैसे लक्षण दिखने लगे थे, उनमें से कई लोगों की तबीयत बहुत ज्य़ादा ख़राब हो चुकी थी| जो लोग वहां से निकलकर पडोसी
देशों में या राज्यों मे जा रहे थे या तो उनकी मौत हो रही थी या वह संक्रमण फैला
रहै थे |
इन सबके साथ-साथ जमात के लोगों ने कई सरकारी नियमों की भी धज्जियां उडांई है –
1 – 11 मार्च को मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर्स ने कँहा था की जो भी लोग विदेश से आए है वो अपने आप को आइसोलेट करे और सबसे अलग रखें|
2- 13 मार्च को दिल्ली सरकार ने कहाँ की 200 से ज्यादा लोग
एक जगह पर इकट्ठा नही हो सकते |
3- 16 मार्च को दिल्ली सरकार ने कहाँ की 50 से ज्यादा लोग
एक जगह पर इकट्ठा नही हो सकते |
तबलीगी जमात में सिर्फ अकेले भारत के नहीं बल्की 15 से
ज्यादा देशों से लोग आये थे-
- नेपाल
- मलेशिया
- अफ़ग़ानिस्तान
- म्यांमार
- अल्जीरिया
- जिबूटी
- किर्गिस्तान
- इंडोनेशिया
- थाईलैंड
- श्रीलंका
- बांग्लादेश
- इंग्लैंड
- सिंगापुर
- फिजी
- फ्रांस
मलेशिया कनेक्शन
-यह फरवरी का मामला है जब लगभग 16,000 लोगों ने पूरे
क्षेत्र से मलेशिया की एक मस्जिद में इकट्ठा हुए थे।
- न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया कि दुनिया के सबसे बड़े
इस्लामी मिशनरी आंदोलन की 16,000 की मजबूत भीड़ में प्रतिभागियों ने
कोरोनोवायरस को आधा दर्जन देशों में फैलाया था, जिससे
"दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे बड़ा वायरल वेक्टर" बना।
- चार-दिवसीय सम्मेलन से जुड़े 620 से अधिक लोगों ने
मलेशिया में सकारात्मक परीक्षण किया है, जिससे देश को
महीने के अंत तक अपनी सीमाओं को सील करने का संकेत मिला है।
- ब्रुनेई में 73 कोरोनोवायरस के अधिकांश मामले सभा से बंधे
हैं, जैसा कि थाईलैंड में 10 मामले हैं, ”दैनिक रिपोर्ट
में कहा गया है।
- 18 मार्च को, अल जज़ीरा ने
मलेशियाई स्वास्थ्य मंत्री डॉ अधम बाबा के हवाले से बताया कि केवल आधे मलेशियाई
प्रतिभागी जो परीक्षण के लिए आगे आए हैं, ने आशंका जताई कि
मस्जिद से प्रकोप अधिक दूरगामी हो सकता है।
- अल ज़जीरा की रिपोर्ट के मुताबिक़ मलोशिया में कोरोना संक्रमण के कुल जितने
मामले पाए गए हैं उनमें से दो-तिहाई तबलीग़ी जमात के आयोजन का हिस्सा थे.
- हेमाँग बरुआ
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